भूमिहार, ये वो समाज है जिसकी एक बड़ी भूमिका रही है बिहार के निर्माण में। बात भूमिका की है तो भूमिहार समाज बिहार के हर क्षेत्र में एक अच्छी खासी भागीदारी रखता है। लंबे वक़्त से एक सवाल हर चुनाव में सब के मन मे रहता है कि भूमिहार समाज का नेता कौन है। आइए जानते हैं कि अमृतांशु वत्स की इसपर क्या राय है।
अमृतांशु वत्स: कोई पूरे भूमिहार समाज का नेता नही
हाल में ही दिए गए एक इंटरव्यू में अमृतांशु वत्स बताते हैं कि भूमिहार समाज का कोई व्यक्ति विशेष नेता नही है। ये समाज एक पढ़ा लिखा और बुद्धिजीवी वर्ग है। नेता केवल उसी तरह के समाज का हो सकता है जो या तो बुद्धिजीवी न हो अथवा कमज़ोर हो।
भूमिहार समाज मे बुद्धिजीवी लोगों की संख्या बहुत बड़ी है। परिणामस्वरूप भूमिहारो की धाक कम्युनिस्ट में भी हैं, BJP ,RJD आदि सब की विचारधारा में भूमिहार बुद्धिजीवी भरे पड़े हैं। बात अगर कमज़ोर या मजबूत होने की करें तो भूमिहार समाज पूरे बिहार की एक डॉमिनेटिंग जाति रही है,और बिहार में बड़ी संख्या में राजनीतिक पार्टियों द्वारा भूमिहारो पर ताक लगाए रखना इस समाज के मजबूत होने को सिद्ध करता है।
कौन बन सकता है भूमिहार का नेता
किसी के पूरे भूमिहार समाज का नेता होने को तो अमृतांशु वत्स सत्य नही मानते,लेकिन दो कंडीशन हैं। या तो कोई व्यक्ति स्वर्गीय ब्रह्मेश्वर मुखिया की तरह युगपुरुष बन कर उभरे उस स्थिति में पूरा भूमिहार समाज उसे नेता मान सकता है, अथवा किसी स्थान विशेष में संख्या के कारण ये वर्ग किसी को नेता मान सकता है।
हर भूमिहार खुद में नेता है
इंटरव्यू के दौरान अमृतांशु बताते हैं कि इस समाज का हर व्यक्ति खुद को नेता मानता है। पढा लिखा और अच्छे बैकग्राउंड से होने की वज़ह से वह किसी दूसरे पर आश्रित होना नही स्वीकार करना चाहता है। यही कारण है कि जगह जगह पर कहीं अनंत सिंह नेता हैं,कहीं सूरजभान सिंह कहीं कोई और,लेकिन पूरे समाज का नेता अभी कोई भी नही है।
भूमिहार समाज का नेता कौन है,इसपर आपकी क्या राय है कमेंट में ज़रूर बताएं।
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