
अक्सर ये आरोप लगाया जाता है कि ब्राह्मणों ने आज तक सुई तक की खोज नही की। ब्राह्मणों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले कई संगठन इस बात को आधार बना कर ब्राह्मणों को टारगेट करते रहते हैं। बात की सच्चाई पता करने के लिए आइए जानते हैं ब्राह्मण के आविष्कार और खोज के बारे में।
ब्राह्मण के आविष्कार और खोज की लिस्ट
(1) योग की खोज
शुरुआत से चले तो आज पूरे विश्व मे प्रसिद्ध योग की खोज ब्राह्मणों द्वारा ही कि गयी गयी थी। हालांकि बुद्धिस्टों द्वारा योग को चोरी किये जाने का लगातार प्रयास किया गया है,लेकिन फिर भी इसपर जो भी बड़ी रिसर्च आदि किये गए हैं उनमें ब्राह्मणों का नाम ही आता है। योग पर प्राप्त सबसे पुरानी जानकारियों में से एक महर्षि पतंजलि के योगसूत्र को माना जाता है।
Note :- यहां पर हम योग को वर्तमान के योग के संदर्भ में बता रहे हैं।
(2) USB का आविष्कार
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आपके मोबाइल , लैपटॉप, कंप्यूटर आदि में जिस USB( Universal Serial Bus) का उपयोग होता है है, उसकी खोज एक ब्राह्मण द्वारा की गई है।
अजय भट्ट नामक ब्राह्मण व्यक्ति द्वारा USB को develope किया गया था, अजय भट्ट एक कंप्यूटर आर्किटेक्ट हैं,2013 में इन्होंने यूरोपियन इन्वेंटर अवार्ड भी जीता था। USB के आविष्कारक अजय भट्ट का जन्म भारत के वड़ोदरा में 6 सितंबर 1957 को हुआ था। आप इनके बारे में विस्तृत रूप से विकिपीडिया पर पढ़ सकते हैं।
(3) सर्जरी का आविष्कार
शल्य चिकित्सा यानी सर्जरी की खोज करने वाले महर्षि सुश्रुत ब्राह्मण परिवार में ही जन्मे थें। फादर ऑफ सर्जरी (Father of Surgery) के साथ ही महर्षि सुश्रुत को Father Of Plastic Surgery भी कहा जाता है।
महर्षि सुश्रुत द्वारा रचित सुश्रुत संहिता के भारत के बाहर भी प्रयोग में लाये जाने के प्रमाण मिलते हैं। कंबोडिया के राजा यशोवर्मन प्रथम के दरबार और साथ हीं तिब्बत के मठों में भी सुश्रुत संहिता के ऐतिहासिक संदर्भ मौजूद हैं। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ सर्जन में भी महर्षि सुश्रुत की मूर्ति लगी हुई है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी इर्विंग मेडिकल सेंटर ने महर्षि सुश्रुत को Father of Surgery के साथ Father of Plastic Surgery भी माना था। आप महर्षि सुश्रुत के बारे में गूगल पर भी जानकारी जुटा सकते हैं।
ऐसे लोग जो कहते हैं कि ब्राह्मणों ने सुई तक का आविष्कार नही किया उन्हें पता होना चाहिए कि सुश्रुत संहिता में सबसे पहली बार शल्य चिकित्सा के औजारों के बारे में वर्णन मिलता है।
(4) आयुर्वेद की खोज और विस्तार
आयुर्वेद को आज पूरी दुनिया मे एक अगल तरह की पहचान मिल चुकी है। भारत के साथ साथ अन्य देशों में भी आयुर्वेदिक उत्पादों का उपयोग किया जाता है। बता दें कि आयुर्वेद की खोज भारत मे ही हुई थी, इसके सबसे पुराने संदर्भ वेदों में मिलते हैं। आयुर्वेद के क्षेत्र में प्राचीन और प्रामाणिक साक्ष्य में वेद के अलावा भी जितनी पुस्तकें हैं वो ब्राह्मणों द्वारा रचित हैं। इनमें से कश्यप संहिता, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भारद्वाज संहिता आदि प्रमुख हैं।
हिन्दू धर्म से जुड़ा होने के कारण अंग्रेज़ो ने आयुर्वेद को पहले अंधविश्वास माना था, बाद में पहला आयुर्वेदिक चिकित्सालय 1887 में कविराज चंद्रु किशोर सेन द्वारा कलकत्ता में खोला गया। इसके बाद मद्रास में भी पंडित गोपालाचारलू ने आयुर्वेदिक औषधालय की स्थापना की। बता दें कि हिन्दू राजा कुमारगुप्त प्रथम द्वारा स्थापित किये गए नालंदा विश्वविद्यालय में भी आयुर्वेद की पढ़ाई होती थी।
(5) चंद्रशेखर लिमिट की खोज (ब्राह्मण के आविष्कार)
नोबल प्राइज विजेता और चंद्रशेखर लिमिट की खोज करने वाले सुब्रमण्यम चंद्रशेखर भी ब्राह्मण समाज से आते थें। किसी स्थायी श्वेत बौने नक्षत्र का अधिकतम सम्भावित द्रव्यमान चन्द्रशेखर सीमा (Limit) कहलाती है।चंद्रशेखर लिमिट को एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र की सबसे बड़ी खोजों में से एक माना जाता है। इस सीमा के सबसे स्पष्ट आकलन के लिए सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को पूरी दुनिया मे प्रसिद्धि मिली थी।
(6) रमन इफ़ेक्ट की खोज और नोबल प्राइज
भारत के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक और नोबल प्राइज विजेता सी.वी. रमन ने रमन इफ़ेक्ट की खोज की थी। फिजिक्स और केमिस्ट्री दोनों में इस खोज की बड़ी उपयोगिता मानी जाती है। रमन इफ़ेक्ट की खोज के लिए ही C.V. Raman को नोबल प्राइज दिया गया था। बता दें कि सी.वी.रमन ब्राह्मण परिवार में ही जन्मे थें। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण है।
(7) शून्य की खोज करने वाले ब्राह्मण आर्यभट्ट
यदि आपने कंप्यूटर के बारे में जानकारी जुटाई है तो आपको ज्ञात होगा कि एक कंप्यूटर शून्य और एक की ही भाषा समझता है, अर्थात यदि शून्य की खोज नही होती तो कंप्यूटर नही बन पातें। शून्य की खोज महान गणितज्ञ आर्यभट्ट द्वारा की गई थी जो ब्राह्मण थें।आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम शून्य की व्याख्या की थी।
कुछ अनपढों के ये भी तर्क होते हैं कि शून्य की खोज नही हुई थी तो रावण के सर कैसे गिन लिए गए थें, इसके लिए उन्हें रोमन लिपि में पहाड़ा लिखने की ज़रूरत है। वहां बिना शून्य लिखे भी 10,20,1000 आदि लिखे जाते हैं। साथ ही अंकों को शब्द के रूप में लिखने पर भी शून्य लिखने की आवश्यकता नही पड़ती है। हालांकि ये बातें तीसरी कक्षा में भी पढ़ाई जाती है पर अनपढों के तर्क उस से परे हैं।
ब्राह्मण के आविष्कार का पार्ट 1
हालांकि इसके अलावा भी ब्राह्मणों द्वारा कई अन्य चीज़ों के आविष्कार किये गए हैं जिन्हें हम एक अन्य आर्टिकल में कवर करेंगे। शब्दहीन के “ब्राह्मण के आविष्कार” वाले इस आर्टिकल पर आपकी क्या राय है ज़रूर बताएं।
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