वामन मेश्राम : फेक न्यूज़ फैलाता दो कौड़ी का इतिहासकार
Waman Meshram : भारत मे झूठी बातों को फैलाकर लोगों से समर्थन लेना काफी आसान है। इसी तरह का काम करने वालों में से एक नाम है वामन मेश्राम का। वामन मेश्राम बामसेफ का अध्यक्ष है और ब्राह्मणों और हिन्दू धर्म के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए प्रसिद्ध है।
यूँ तो मेश्राम हमेशा इतिहास की बात करता है और इतिहासकारों पर आरोप भी लगाते रहता है। पर newslaundry से बात-चीत के दौरान इसने बताया था कि ये कोई इतिहासकार नही है। इतिहास की जानकारी न होने के बाद भी इतिहास का ज्ञान बांटने पर अक्सर गलतियां हो जाती हैं। वैसे तो बामसेफ अध्यक्ष द्वारा की गई इन गलतियों की संख्या बहुत ज्यादा है,लेकिन हम पहले पार्ट में केवल दो की ही बात करेंगे।
पहला झूठ : बाजीराव पेशवा ने संभाजी को मरवाने में औरंगजेब के साथ दिया
झूठ फैलाने में माहिर बामसेफ के अध्यक्ष वामन मेश्राम ने भीम कोरेगांव हिंसा के बाद ये बात कही थी। वामन मेश्राम ने newslaundry के एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि” यह सच है कि पेशवा ने संभाजी को मारने के लिए औरंगजेब के साथ मिलीभगत की है और यह इतिहास का एक सच्चा तथ्य है। मैं ब्राह्मणों या किसी अन्य समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा नहीं देता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इतिहास के सही तथ्यों को उजागर करके लोगों को शिक्षित करना बंद कर दें।”
इतिहास के प्रकांड ज्ञानी मेश्राम को ये पता नही था कि संभाजी की हत्या के वक़्त पेशवा पैदा भी नही हुए थें। संभाजी की हत्या 1689 में हुई थी जबकि पेशवा का जन्म 1700 ई. में हुआ था।
हरि नारके एक प्रसिद इतिहासकार हैं। इन्होंने अम्बेडकर,फुले आदि के बारे में बहुत कुछ लिखा है। बामसेफ के बारे में नारके लिखते हैं”इस तरह के किसी भी साहित्य को बढ़ावा देने से पहले तथ्यों को देखना चाहिए। 1689 में संभाजी महाराज की मृत्यु हो गई और उस समय बाजीराव पेशवा का जन्म भी नहीं हुआ था। बामसेफ को महज कल्पना के आधार पर फर्जी और काल्पनिक कहानियां लिखने की आदत है।”
मेश्राम की थ्योरी के अनुसार अपने जन्म से पहले ही पेशवा ने औरंगजेब से सांठगांठ कर ली थी । ये बिल्कुल उसी तरह है कि वामन मेश्राम अपने पिता से पहले पैदा होकर बामसेफ के अध्यक्ष बन जाएं। हालांकि पेशवा पर जन्म से पहले सांठगांठ का आरोप लगाने वाले मेश्राम ने खुद के पिता से पहले पैदा होने की बात को स्वीकारा नही है।
दूसरा झूठ : भीमा कोरेगांव में 500 महारों ने 28000 ब्राह्मणों को मारा।
मेश्राम का एक वीडियो है जिसमे वो बोलते दिख रहे हैं कि “भीमा कोरेगांव में हमारे 500 लोगों ने 28000 ब्राह्मणों को मारा था।”
इतिहास की इतनी गलत जानकारी वाले व्यक्ति की अन्य बातों की प्रमाणिकता को आप समझ सकते हैं। भीमा कोरेगांव युद्ध मराठा और अंग्रेज़ो की सेना के बीच लड़ा गया था। ऐतिहासिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि अंग्रेज़ो की सेना के लगभग 275 लोग मारे गए थें, जबकि मराठा की सेना को 28000 में से केवल 500 से 600 सैनिकों की क्षति हुई थी। मराठा की सेना में केवल ब्राह्मण ही नही बल्कि कई जातियों के सैनिक थे।
अतः ये साबित होता है कि वामन मेश्राम का ये दावा भी पूर्ण रूप से गलत था। इस तरह की निम्न स्तर की जानकारी रखने वाले व्यक्ति की बात की प्रमाणिकता क्या है ये हमने waman meshram exosed की इस आर्टिकल के माध्यम से बताने का प्रयास किया है। अगर आप चाहते हैं कि इसका अगला पार्ट भी आये तो कमेंट ज़रूर करें।
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