The Mooknayak : मूकनायक, फेक न्यूज़ फैलाता पत्रकार समूह
The Mooknayak : द मूकनायक एक बहुजनवादी न्यूज़ मीडिया है, जिसके अंतर्गत कुछ स्वघोषित पत्रकारों का समूह काम करता है। हिन्दू धर्म के प्रति घृणा और जातिवाद फैलाने के लिए The Mooknayak द्वारा अनगिनत बार फेक न्यूज़ और गलत जानकारी फैलाई गई है।
The Mooknayak and Meena Kotwal
मीना कोटवाल जो कि द मूकनायक की फाउंडर है, हिन्दू घृणा कई बार साफ कर चुकी है। खास कर इस महिला द्वारा सवर्ण जातियों को टारगेट किया जाता है। स्वयं पुलिस ने भी इसे हेट स्पीच के लिए वॉर्निंग दी हुई है।
घृणित सोच रखने वाले व्यक्ति से निष्पक्ष पत्रकारिता की उम्मीद करना खुद के साथ धोखा है। और पत्रकारिता में निष्पक्षता न हो तो उसे पत्रकारिता कहना भी पूर्ण रूप से गलत है।
मीना कोटवाल इससे पहले भी कई बार सवर्ण समाज और हिन्दू समाज पर अपनी घृणित सोच का प्रदर्शन कर चुकी है। महिला ने इस से पहले ब्राह्मण समाज के खिलाफ एक meme भी शेयर किया था, जिसके जवाब में एक अन्य यूज़र ने भी एक meme शेयर किया था।
मूकनायक और फेक न्यूज़
The Mooknayak द्वारा अनगिनत बार फेक न्यूज़ फैलाया गया है। अगर बारी-बारी से एक-एक फेक न्यूज़ को कवर किया जाए तो आर्टिकल लिखना सम्भव नही होगा। फिलहाल उदाहरण के लिए :
The Mooknayak का राजपूतों के खिलाफ फेक न्यूज़
द मूकनायक के वेबसाइट पर 27 नवंबर 2021 को एक आर्टिकल पब्लिश किया गया। आर्टिकल में बताया गया कि “उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक दलित परिवार के चार सदस्यों को उसी गांव के ठाकुर परिवार ने कुल्हाड़ी मार कर मौत के घाट उतार दिया गया।”
इस न्यूज़ के पब्लिश होते ही अम्बेडकरवादी समूहों द्वारा इसका जम कर प्रचार किया गया। मूकनायक के आर्टिकल की सत्यता की जांच करने पर पता चला कि हत्या तो हुई है, वो भी कुल्हाड़ी का प्रयोग कर के, लेकिन हत्या करने वाले ठाकुर नही बल्कि स्वयं दलित समाज से थें। मामला एकतरफा प्यार का था जिसमे द मूकनायक ने जाति का एंगल जोड़ दिया वो भी गलत तथ्यों के साथ।
बेशर्मी की हद यहां तक है कि अब तक The Mooknayak की वेबसाइट से उस आर्टिकल को हटाया नही गया है। पुलिस के बयान जारी करने के बाद हम समझ सकते हैं कि किस तरीके से मूकनायक ने सोच समझ कर ठाकुरों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए फेक न्यूज़ फैलाया।
The Mooknayak Fake Fact on Ambedkar
द मूकनायक के आर्टिकल में साथ ही मीना कोटवाल द्वारा भी अम्बेडकर को कई बार संविधान निर्माता बताया गया है। साथ ही द मूकनायक के एक अन्य आर्टिकल में ये लिखा है कि अम्बेडकर को संविधान लिखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। ये दोनों बातें पूर्ण रूप से गलत है। RTI स्पष्ट कर चुकी है कि अम्बेडकर संविधान निर्माता नही हैं। साथ ही संविधान तैयार करने की ज़िम्मेदारी संविधान सभा की थी न कि केवल अम्बेडकर की।
मूकनायक के एक आर्टिकल में बताया गया है कि अमेरिका ने अम्बेडकर को ज्ञान का प्रतीक “symbol of knowledge” कहकर सम्मानित किया है। इस बात की जांच करने पर पता चलता है कि ये अम्बेडकरवादियों द्वारा फैलाया गया एक प्रसिद्ध झूठ है। अमेरिकी सरकार की किसी ऑफिसियल संस्था द्वारा इस तरह की पदवी अम्बेडकर को नही दी गयी है।
उदाहरण के लिए, अगर भारत के किसी यूनिवर्सिटी द्वारा कश्मीर को भारत का हिस्सा न माना जाए,इसका मतलब ये नही की भारत द्वारा कश्मीर को भारत का हिस्सा नही माना जाता।
मीना कोटवाल का जितेंद्र मेघवाल केस पर झूठ
हाल ही में हुए जितेंद्र मेघवाल केस में द मूकनायक और मीना कोटवाल द्वारा जम कर फेक न्यूज़ फैलाया गया। दावा किया गया कि जितेंद्र मेघवाल की हत्या मूँछ रखने के कारण हुई, जबकि जांच में स्पष्ट हुआ कि SC ST एक्ट और पिता के अपमान का बदला लेने के लिए हत्या की गई थी।
राजस्थान पुलिस द्वारा भी बयान जारी कर के स्पष्ट किया गया कि इस घटना में मूँछ का कोई लेना देना नही है। राजस्थान पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी इस बात को स्पष्ट किया गया था। साथ ही फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गयी थी।
मूकनायक के फेक न्यूज़ की लिस्ट खत्म नही हुई।
ऐसी अन्य कई घटनाओं पर Meena Kotwal और द मूकनायक द्वारा फेक न्यूज़ फैलाया गया है। भ्रामक प्रचार करने के कारण पुलिस भी इन्हें टोक चुकी है। हालांकि फिर भी अब तक फेक न्यूज़ का सिलसिला जारी है। हमारा प्रयास है कि इस तरह के फेक न्यूज़ के सच को हम आपके सामने उजागर करते रहें।
The Mooknayak पर हमारा ये विश्लेषण कैसा लगा कमेंट में ज़रूर बताएं।
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