क्या मंदिर में ब्राह्मणों को आरक्षण है? जानिए क्या है सच
आरक्षण पर बहस में जब कोई तथ्य नही बचता, तो अंत मे लोग ये कुतर्क करते हैं कि ब्राह्मणों को मंदिर में आरक्षण है। हालांकि इस बात में कितनी सत्यता है, और तथ्य के आधार पर ये बात कितनी सही है इसके लिए कुछ तथ्यों को जानना ज़रूरी है।
मंदिर में पुजारी कौन नियुक्त करता है?
सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि मंदिर में पुजारी नियुक्त करने के लिए अलग अलग मन्दिर के भिन्न भिन्न नियम होते हैं।
(1) यदि आप एक व्यक्तिगत मंदिर बनवाते हैं तो उसमें किसे पुजारी रखना है ये आपकी व्यक्तिगत इक्षा पर निर्भर करता है। आप चाहें तो खुद भी उसमे पूजारी का काम कर सकते हैं।
(2) यदि किसी गाँव मे कोई मंदिर है जिसमे हर समुदाय के लोग पूजा-पाठ करने आते हैं। उस स्थिति में मंदिर के नियंत्रण के लिए एक कमिटी होती है। कमिटी में हर जाति के लोग होते हैं। उस कमिटी के सदस्यों द्वारा आपस मे तय कर के पुजारी नियुक्त किया जाता है। पुजारी को क्या वेतन मिलेगा ये भी उस कमिटी द्वारा तय किया जाता है।
(3) बड़े मंदिरों में ,मन्दिर के देखभाल के लिए ट्रस्ट के निर्माण किया जाता है। ये ट्रस्ट मन्दिर में आने वाले दान का उपयोग मंदिर के मेंटेनेंस और अन्य सामाजिक कामों के लिए करती है। ऐसे मंदिरों में पुजारी की नियुक्ति, ट्रस्ट के लोगों द्वारा की जाती है।
उदाहरण के लिए :- महावीर मंदिर,पटना के लिए महावीर मंदिर ट्रस्ट के निर्माण किया गया है। महावीर मंदिर के मुख्य पुजारी लंबे वक्त से दलित समुदाय के हैं। इस मंदिर के दान से महावीर कैंसर संस्थान आदि का संचालन होता है। Lockdown के दौरान महावीर मंदिर ट्रस्ट हर दिन 5000 से 12000 लोगों को खाना मुहैया करवा रही थी।
कई मंदिरों में ट्रस्ट का निर्माण ,राज्य सरकार द्वारा करवाया जाता है। इन मंदिरों में आये दान का अधिकतर पैसा सरकार ले लेती है। कई स्थितियों में सरकार मंदिर के ज़मीन और अन्य संपत्ति को भी बेच देती है।
मंदिर में आरक्षण
भारत मे ऐसे हज़ारों मंदिर हैं,जहां गैर ब्राह्मण पुजारी नुयुक्त हैं। बता दें कि केरल और कर्नाटक के कई मंदिरों में गैर ब्राह्मणों के लिए पुजारी पद पर आरक्षण दिया हुआ है।
इन मंदिरों में 100 में से लगभग 50 पुजारी पद , गैर ब्राह्मणों के लिए आरक्षित होते हैं। बचे 50 पद में कोई भी योग्यता सबित कर के पुजारी बन सकता है।तमिलनाडु में तो गैर हिन्दू तक हिन्दू मंदिर के पुजारी बन सकते हैं आरक्षण की मदद से। हाल में ही तमिलनाडु के मंदिर में गैर हिन्दू पुजारी द्वारा भगवान की मूर्ति के साथ अजीब हरकते और मंदिर में शराब आदि का सेवन किया गया था।
Reservation in Temple
स्पष्ट होता है कि मंदिरों में ब्राह्मणों को नही बल्कि गैर ब्राह्मणों को आरक्षण दिया जाता है। खास, ब्राह्मणों के लिए भारत के किसी मंदिर में आरक्षण का कोई प्रावधान नही है। बड़ी संख्या में ब्राह्मण पुजारी होने का एक कारण ये है कि उनके पूर्वज पूजा करवाते थे तो पूजा करवाने की विधि सीखना उनके लिए आसान है। इसमे आरक्षण का कोई रोल नही।
जानकारी कैसी लगी कमेंट में ज़रूर बताएं।
अगर हमारा काम पसंद है तो हमे ट्विटर और फेसबुक पर फॉलो कर के आप हमारी मदद कर सकते हैं।
हमारा फेसबुक पेज :- The Shabdheen
हमारा ट्विटर हैंडल :- The Shabdheen Twitter