स्तन टैक्स : क्या ब्राह्मणों ने दलित महिलाओं के स्तन ढंकने पर टैक्स लगाया था ? काल्पनिक नंगेली : Fact Check

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भारतीय न्यूज़ मीडिया और कई यूट्यूब चैनल्स द्वारा स्तन टैक्स की बात बताई गई है। इसको सत्य साबित करने के लिए नंगेली नामक एक महिला का भी ज़िक्र किया जाता है। सत्यता की जांच के लिए ऐतिहासिक संदर्भो के आधार पर इसका Fact Check :

स्तन टैक्स क्या है ? (What is breast tax ?)

स्तन टैक्स को सत्य मानने वालों के अनुसार यह एक प्रकार का टैक्स था जो दलित महिलाओं को अपने स्तन ढंकने के लिए देना पड़ता था। दावे के अनुसार ये टैक्स केरल के त्रावणकोर साम्राज्य के राजा मार्तण्ड वर्मा द्वारा लगाया गया था दलित और ओबीसी महिलाओं पर लगाया गया था ।

Marthanda Varma (Ruler of Travancore)

इस दावे में दिक्कत ये है कि इसमें बताया जाता है कि ब्रेस्ट टैक्स ओबीसी महिलाओं पर भी लगाया गया था जबकि इसका जो समयकाल, दावा करने वाले बताते हैं, उस वक़्त ओबीसी का वर्गीकरण नही हुआ था। अतः ऐतिहासिक संदर्भों और पहले ही दावे में विरोधाभास होता प्रतीत होता है।

स्तन टैक्स को सच बताने वाले इसके विरोध में एक महिला द्वारा खुद के स्तन को काट लेने की बात भी बोलते हैं। दावा करने वाले लोग, महिला का नाम नंगेली बताते हैं। कई जगहों पर महिला का नाम नांगेली भी बताया जाता है।

नंगेली कौन थी ? (Who was Nangeli ?)

नंगेली ने स्तन टैक्स के विरोध में अपने स्तन काट दिए थें। कहानी ये है कि जब स्तन टैक्स कलेक्ट करने वाले लोग नंगेली के घर पहुंचे तो नंगेली ने इसका विरोध किया और अपने स्तन को काट कर केले के पत्ते पर रखकर टैक्स कलेक्ट करने आये लोगों को दे दिया।

Statue of Nangeli

डॉक्टर्स की माने तो औसतन महिलाओं(वयस्क) के शरीर का 4-5 प्रतिशत फैट महिलाओं के स्तन में होता है। ऐसी स्थिति में दोनों स्तनों को काटने के बाद कुछ सेकण्ड्स में कोई भी महिला बेहोश हो जाएगी,क्योंकि पूरे स्तन का एरिया इतना बड़ा होता है कि उनके काटते ही तुरंत बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो जाएगा। ऐसी स्थिति में अपने दोनो स्तन को काटना फिर उन्हें केले के पत्तों पर सजाना और फिर टैक्स कलेक्ट करने आये लोगों को दे देना एक मूर्खतापूर्ण दावा लगता है।

हास्यास्पद बात है कि जिस फ़ोटो को नंगेली का बता कर प्रचारित किया जाता है वो फ़ोटो नंगेली का नही बल्कि दूसरी महिला का है। नंगेली का जो समयकाल बताया जाता है उस वक़्त भारत मे फ़ोटो क्लिक करने की तकनीक ही नही थी।

Fake Photo of Nangeli

इतिहास के दृष्टिकोण से नंगेली का सच

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखें तो स्तन टैक्स और नंगेली कि घटना को कोई भी समकालीन संदर्भ मौजूद नही है। मुख्य रूप से टाइम्स ऑफ इंडिया के 2016 के लेख के बाद ये नैरेटिव बड़े स्तर पर फैलाना शुरू हुआ था। कुछ सालों पहले एक मलयाली चित्रकार टी मुरली द्वारा नंगेली की कहानी को डिटेल्ड रूप में गढ़ा गया।

टी मुरली के बारे में जानकारी जुटाने पर पता चलता है कि यह व्यक्ति कई बार हिन्दू देवी देवताओं पर अभद्र और निम्न स्तर की टिप्पणी कर चुका है। हिन्दू देवी देवताओं पर टी मुरली की टिप्पणी की भाषा इतनी निम्न है कि उसे सार्वजनिक नही किया जा सकता।

2016 में BBC ने कुछ लोगों का इंटरव्यू पब्लिश किया जो खुद के नंगेली का वंशज होने का दावा करते हैं। हालांकि यह क्लेम बिल्कुल उसी तरह था जैसे कुछ लोग खुद को महिसासुर का वंशज क्लेम करते हैं लेकिन इस बात का सबूत नही दे पाते हैं। नंगेली के वंशज होने का दावा करने वाले भी न तो नंगेली के समकालीन कोई साक्ष्य उपलब्ध करवा पाएं और न ही यह साबित कर पाए कि वो नंगेली के वंशज हैं। हालांकि BBC की रिपोर्ट में बड़ी चालाकी से वर्ड प्ले करते हुए इस तथ्य बात को घुमा दिया गया।

स्तन टैक्स का सच बताते विलियम निउहोफ के लेख

भारत सहित पूरी दुनिया मे कई जगह ऐसे हैं जहाँ महिलाएं अपना स्तन नही ढंकती हैं। आज भी भारत मे कई आदिवासी समूहों में ये आम बात है। केरल में भी स्तन न ढांकना उस वक़्त आम बात थी, इसका सबूत हमें 17 वी सदी में डच से आये विलियम वान निउहोफ के लेखों में मिलता है। विलियम वान निउहोफ (William Van Nieuhof) जब त्रावणकोर की यात्रा पर गयें तो उन्होंने वहां की रानी अश्वथी थिरुनल उमय्याम्मा के पहनावे के बारे में विस्तृत रूप से लिखा ।

विलियम लिखते हैं “… मुझे उनकी महिमा की उपस्थिति में पेश किया गया था। उसके पास 700 से अधिक नायर सैनिकों का गार्ड था, जो मालाबार फैशन के बाद सभी पहने हुए थे; रानी का पहनावा उसके बीच में लपेटे गए कॉलिको के एक टुकड़े से ज्यादा कुछ नहीं था , उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा नग्न दिखाई देता था , जिसके कंधों पर लापरवाही से कॉलिको का एक टुकड़ा लटका हुआ था।”

एक रेखा चित्र में त्रावणकोर की रानी से विलियम को मिलते हुए दर्शाया गया, चित्र में महिलाओं ने अपने शरीर के ऊपरी भाग को बिल्कुल नही या केवल थोड़ा ढंका हुआ है। Reference from (वॉयेज एंड ट्रेवल्स टू द ईस्ट इंडीज; 1653-1670)

त्रावणकोर की रानी से मिलते विलियम

केरल में स्तन न ढंकना सामान्य बात थी, मौजूद हैं सबूत

स्तन ढंकना या नही ढंकना उस समाज के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। आज भी कई आदिवासी समाज मे महिलाएं स्तन नही ढंकती हैं क्योंकि उनके समाज मे यह एक सामान्य बात होती है, इसका अर्थ ये नही की उन्हें स्तन ढंकने से किसी के द्वारा मना किया गया है।

ऐसे कई पुराने फोटोज मौजूद हैं जिनमे देखा जा सकता है कि केरल में ब्राह्मण महिलाओं ने भी स्तन नही ढंके हैं, चुकी वहां पर यह सामान्य बात थी और इसलिए महिलाएं स्वयं स्तन नही ढंकती थीं न कि किसी के दबाव में। आपको opindia के आर्टिकल में ऐसे कई फोटोज मिल जाएंगे। विदेशों में भी 2012 के बाद Free The Nipple मूवमेंट चलाया गया था ,इसका कारण ये नही था कि महिलाओं पर किसी दूसरे ने निप्पल्स नही ढंकने के लिए दबाव बनाया हो। इसलिए ये दावा की दलित महिलाओं को स्तन ढंकने की मनाही थी पूर्ण रूप से गलत साबित होता है।

Opindia Article

विकिपीडिया ने माना स्तन टैक्स को काल्पनिक,अपडेट किया आर्टिकल

कुछ समय पूर्व तक विकिपीडिया द्वारा स्तन टैक्स को सच माना जाता था। हालांकि तथ्यों के पुनरावलोकन के बाद विकिपीडिया ने स्तन टैक्स को मिथ्या घोषित किया है और बताया है कि इसका स्तन से कोई लेना देना नही है। साथ ही जहां पहले विकिपीडिया ने नंगेली को भी एक ऐतिहासिक चरित्र के रूप में दर्शाया था वहीं तथ्यों और सबूतों के आधार पर अब विकिपीडिया द्वारा स्पष्ट रूप से नंगेली को काल्पनिक चरित्र बताया गया है।

आप विकिपीडिया पर स्तन टैक्स और नंगेली पर पब्लिश आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।

Breast Tax (Wikipedia)

Nangeli (Wikipedia)

Fact Check Results :- स्तन टैक्स का स्तन ढंकने से कोई सम्बंध नही था। ब्राह्मणों द्वारा दलित महिलाओं को स्तन न ढंकने दिए जाने का दावा पूर्ण रूप से गलत है।

नंगेली का प्रसंग :- नंगेली के प्रसंग का कोई समकालीन संदर्भ उपलब्ध नही है। नंगेली एक कल्पनिक पात्र है जिसे स्तन टैक्स के नैरेटिव को फैलाने के लिए गढ़ा गया था।

प्रसिद्ध मीडिया संस्थानों को फेक न्यूज़ फैलाने से बचना चाहिए। समकालीन संदर्भ न होने के बाद भी ऐसे भ्रामक तथ्य को फैलाने वाले संस्थानों पर आपकी क्या राय है ज़रूर बताएं।

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