पाखंडी ब्राह्मण ने जीत लिए 8 नोबल प्राइज,विज्ञानवादियों के खाते में शून्य
नमस्कार दोस्तों,
हम सब जानते हैं कि ब्राह्मण कितने बड़े पाखंडी और अंधविश्वासी होते हैं। इनके पाखण्ड का स्तर इतना ज्यादा है कि भारत के अधिकतर बड़े अंधविश्वासी ब्राह्मण समाज से ही हुए हैं। आर्यभट्ट,शुश्रुत,वराहमिहिरा,भास्करा 1 और 2,श्रीनिवास रामानुजम, C.V.Raman,शकुंतला देवी जैसे अपने क्षेत्र के अंधविश्वासी,ब्राह्मण समाज से ही आते थें। ये तो केवल कुछ नाम हैं, ऐसे और सैकड़ो अंधविश्वासी लोगों के नाम हैं जो ब्राह्मण समाज से ही आते थें।
पाखंडी ब्राह्मणों ने जीते हैं 8 नोबल प्राइज !
ऐसा नही है दोस्तों की ये बात केवल मैं कह रहा हूँ, ब्राह्मणों ने 8 नोबल प्राइज जीते हैं, इस बात से आप खुद समझ सकते हैं कि ब्राह्मण कितने पाखंडी और अंधविश्वासी होते हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर (बंगाली ब्राह्मण)
CV रमन (तमिल ब्राह्मण)
शुबरमन्यम चंद्रशेखर
अमर्त्य सेन (कायस्थ ब्राह्मण)
वेंकटरमन रामकृष्णन (तमिल ब्राह्मण)
कैलाश सत्यार्थी
अभिजीत बनर्जी (बंगाली ब्राह्मण)
V.S.Naipaul
ये उन पाखंडी ब्राह्मणों के नाम हैं,जिन्होंने नोबल प्राइज जीता है।
ये सब तो पुरानी बातें हैं, वर्तमान में भी ब्राह्मणों का पाखण्ड खत्म नही हुआ है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ब्राह्मण हैं माइक्रोसॉफ्ट के चैयरमैन और सीईओ सत्य नडेला ब्राह्मण हैं।, एडोबी के सीईओ शांतनु नारायण ब्राह्मण हैं । ग्लोबल फाउंडरीज के सीईओ संजय झा ब्राह्मण हैं।पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूई ब्राह्मण हैं।
अगर आप इतने के बाद भी ब्राह्मणों के पाखण्ड को नही समझ पाए हैं तो अगले टॉपिक से आप sure हो जाएंगे।
स्त्री पर दमन करते हैं पाखंडी ब्राह्मण ?
ब्राह्मण समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है। बता दें कि ब्राह्मण अपनी लड़कियों को पढ़ाई लिखाई तक नही करवाते हैं।अत्याचार का आलम ये है कि भारत की पहली ग्रेजुएट महिला कादम्बिनी गांगुली ब्राह्मण ही थीं। अब भी भरोसा नही हो रहा तो ये रहें कुछ और उदाहरण :
भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी ब्राह्मण थीं।
भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ब्राह्मण थीं।
भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचिता कृपलानी ब्राह्मण थीं।
जापान के ओकिनावा एयरलाइन्स की पहली महिला पायलट दुर्बा बनर्जी ब्राह्मण हैं।
भारत की शुरुआती महिला कॉम्बैट पायलट अवनी चतुर्वेदी ब्राह्मण हैं।
भारत की शुरुआती महिला पायलट, सरला ठकराल(पति का नाम P.D. Sharma)ब्राह्मण थीं।
पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूई ब्राह्मण हैं।
अंधविश्वासी ब्राह्मणों के पाखण्ड की वजह से ही आज वो देश विदेश में नाम रौशन कर रहे हैं। ऐसे ही कई और उदाहरण भी हैं।
पाखंडी ब्राह्मण से सीखने की ज़रूरत
दोस्तों,अंधविश्वासी ब्राह्मणों का दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनीज में वर्चस्व है,इसी अंधविश्वासी समाज ने भारत को C.V. Raman, K.Sivan जैसे महान वैज्ञानिक दिए हैं,जबकि विज्ञानवादी अम्बेडकरवादी आज भी वैज्ञानिक बनने और विदेशी कंपनी के सीईओ पद में आरक्षण की मांग में व्यस्त हैं।
अगर ये सब पाखण्ड और अंधविश्वास है तो हर किसी को पाखंडी और अंधविश्वासी बनना चाहिए।
कैसा लगा हमारा आर्टिकल,कमेंट में ज़रूर बताएं।अगर आर्टिकल पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
हमारा फेसबुक पेज :- The Shabdheen
हमारा ट्विटर हैंडल :- The Shabdheen Twitter
आर्थिक मदद के लिए नीचे donate पर क्लिक करें।
भारत से चंद्रमा पर पैर रखनेवाला भी ब्राह्मण राकेश शर्मा है।