जातीय जनगणना पर अमृतांशु वत्स की राय।

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जातीय जनगणना : बिहार में जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग पर राजद और जदयू दोनों के सुर एक हैं। दोनों की मांग है कि इस बार होने वाले जनगणना को जाति के आधार पर करवाया जाए। तेजस्वी यादव ने देश भर में जाति आधारित जनगणना की मांग पूरी करवाने के लिए बिहार से दिल्ली तक पैदल यात्रा करने की घोषणा भी की है।

हमने जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार के युथ आइकॉन और अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन के सदस्य अमृतांशु वत्स की राय जानने के लिए उनसे संपर्क किया। अमृतांशु वत्स ने इसपर अपनी राय बताते हुए कहा कि जातीय जनगणना ,सरकार और सरकारी अर्थ(economy) दोनों पर एक बोझ है।

जातीय जनगणना पर अमृतांशु वत्स की राय।
Amritanshu Vats

जातीय जनगणना , प्रतिभाओं की हत्या का प्रयास !

जातिगत जनगणना पर अमृतांशु वत्स ने बताया कि बिहार में बीपीएससी के पेपर लीक हो रहे हैं, बिहार में सरकारी नौकरी मेरिट से नही मिलती है, लाखों युवाओं का जीवन खतरे में हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी बिहार कहीं नही टिकता है, न अच्छी सड़के हैं, सरकारी अस्पताल बाढ़ में डूब जाते हैं, स्कूल में पढ़ाई नही होती और इस स्थिति में सरकार का ध्यान इन सब से दूर जातिय जनगणना पर है।

जातीय जनगणना पर अमृतांशु वत्स की राय।
अमृतांशु वत्स

अमृतांशु कहते हैं कि सरकार अपराध को रोकने में सक्षम नही है, रोज़ हत्याएं हो रही हैं और सरकार अब जातीय जनगणना के आधार पर स्वयं भी प्रतिभाओं की हत्या करना चाहती है। क्षमता के आधार पर उसका योगदान या भागीदारी न देखकर अगर सरकार संख्या के आधार पर संसाधनों को बांटने लगी तो इसका दंश हर प्रतिभावान व्यक्ति को झेलना पड़ेगा। जातीय जनगणना के नाम पर बिहार को फिर से गर्त में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार वोट बैंक के लिए जाति को फिर से आधार बनाने में लगी है ।

संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी

बिहार सरकार ने जातीय जनगणना कराने की घोषणा कर दी है। सुशील मोदी का भी बयान आया है कि भाजपा को जातीय जनगणना से कोई आपत्ति नही है। जाति आधारित जनगणना का मुख्य आधार इस बात को बताया जा रहा है कि इससे संख्या के आधार पर नेतृत्व देना संभव हो पायेगा।

सवाल ये है कि जहाँ केवल 100 सीट की वेकैंसी निकलेगी वहां 5000 से ज्यादा जातियों को नेतृत्व कैसे दिया जाएगा? साथ ही जब प्रतिभा को दरकिनार ही किया जाना है तो क्या जानवरों को भी उनकी संख्या के आधार पर हिस्सेदारी मिलेगी क्योंकि सबसे ज्यादा शोषण तो जानवरों के साथ ही हुआ है।

जातीय जनगणना पर आपके क्या विचार है ज़रूर बताएं।

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